KavitāvalīGranthama, 1976 - 55 pages |
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११ १२ २१ अंगद अपने अभिव्यक्ति अयोध्या अयोध्या ० आदि इस उत्तर० उसके उसे एक और कबीर कर करते करना करने कवि का यह कहना कि राम का उल्लेख का यह कहना का रावण से का वर्णन कारण काशी किया किसी की कुछ के रूप में के लिए के समान के साथ केवट को देख कोई क्या जाना जाने जो तक तथा तुलसी का तुलसीदास तो त्रिजटा था थे देखकर द्वारा रावण धनुर्यज्ञ नाम ने पर परशुराम पार्वती प्रकार प्रतीति प्रेम बाल० १६ ब्रह्मा भी मंदोदरी मन्दोदरी में यह कहना कि या युद्ध रक्षा रचना रहा रही राक्षस राक्षसों राम की कृपालुता राम के राम द्वारा रावण को लंका लंका० लक्ष्मण लक्ष्मण को वन वह वानर वाले विभीषण विष्णु वे शंकर शिव सब समय सम्भव साहित्य सीता सीता से सुग्रीव सुनकर सुन्दर० से कहना कि सौन्दर्य हनुमान के ही हुए है हैं हो होकर होता होना